Difficult For LGBTQ Community To Make a Place In The Society: हमारा समाज अभी भी मर्द प्रधान है। सबसे पहले यहां पर उनके अधिकारों की बात होती है। इसके बाद जाकर महिलाओं की बारी आती है। आखिर में एलजीबीटी कम्युनिटी रह जाती है जिनके अधिकारों की लड़ाई अभी बहुत लंबी है।अभी सिर्फ इसकी जागरूकता पर काम हो रहा है। लोग आज भी इसे कोई बीमारी या फिर ट्रेंड बता रहे हैं।
LGBTQ कम्युनिटी के लिए अभी भी समाज में जगह बनाना मुश्किल
क्यों एलजीबीटी आज भी संघर्ष कर रहे हैं
एलजीबीटी के संघर्ष करने के कई कारण है जैसे इन्हें अपने अधिकार नहीं मिल रहे। अभी भारत जैसे देश में इस पर सिर्फ बात शुरू हुई है। आज भी किसी एलजीबीटी व्यक्ति के लिए अपनी सेक्सुअलिटी को स्वीकार करना बहुत मुश्किल है। उसके अंदर समाज का डर है कि लोग क्या कहेंगे या उसे स्वीकार किया भी जाएगा? सबसे पहले तो परिवार का बहुत प्रेशर होता है। ऐसे बच्चों की जिंदगी ट्रॉमा से भरी होती है। बचपन से ही उनकी आदतों और सेक्सुअलिटी पर सवाल उठाए जाते हैं, भद्दा मजाक बनाया जाता है।
आप अपने आसपास देखें कि हम कितने एलजीबीटी के लोग हैं जिनकी इज्जत करते हैं या फिर उन्हें सम्मान देते हैं जिसके वह हकदार है। आज भी अगर कोई एलजीबीटी सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल देता है तो लोगों के ऐसे कमेंट्स आते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। उनके अंदर lgbtq लोगों के लिए इतना ज्यादा हेट भरा हुआ है कि जैसे इन्होने कोई गुनाह किया हो।
सितंबर 2018 में समलैंगिकता गैर-आपराधिक घोषित
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान से ही समलैंगिकता को अपराध माना जाता था इतनी लंबी लड़ाई के बाद सितंबर 2018 में समलैंगिकता को गैर आपराधिक घोषित कर दिया। लेकिन जब मैरिज की बात आई तब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इसे लीगल नहीं घोषित किया गया। आज भी भारत में ऐसे कानूनों की कमी दिखाई देती है जो इस समुदाय को सुरक्षा प्रदान करें। पूरी दुनिया में कुछ ऐसे भी देश है जो इस कम्यूनिटी का खुलकर स्वागत करते हैं जैसे आइसलैंड, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और कनाडा।
अगर हम सब चाहते हैं कि एलजीबीटी के लिए भारत एक सुरक्षित स्थान बने तो हम सबको मिलकर साथ आना होगा। उन लोगों के लिए एक सुरक्षित और सहज माहौल पैदा करना होगा ताकि जब भी वह घर से बाहर निकले उन्हें ऐसा ना महसूस हो कि हमें अलग तरीके से देखा और व्यवहार किया जाएगा।